पेज
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
लघु कथा
▼
सोमवार, 18 मार्च 2013
रुबाइ-167
रुबाइ-167
आरोप लगा रहलै एक दोसरपर
देखै कहाँ छै किओ अपन टूटल घर
उड़बै हँसी सब दोसरक टेटर देख
ककरो सुझै नै लोढ़ी सन निज टेटर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें