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लघु कथा
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शुक्रवार, 22 मार्च 2013
नादान समझते हैं
दिल लगा लेने के बाद खुद को नादान समझते हैं
आज कल के बच्चे बचपन से खुद को जवान समझते हैं
कौन समझाये इन्हें कि इश्क दुआ है ऊपर बाले का
ये तो दिल को भी खेल का सामान समझते हैं
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