पेज
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
लघु कथा
▼
मंगलवार, 19 मार्च 2013
बिखर जाऊँ
तेरे जुल्फ पे शबनम बन बिखर जाऊँ
तेरे होठों पे सरगम बन बिखर जाऊँ
बस इक बार मुस्करा कर देख ले मुझको
तेरे काँटों भरी रहों में हमदम बन बिखर जाऊँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें