बाल कविता-33
मान्यवर कविवर
सुग्गा संपादककें नवका दफ्तरमे
हल्ला मचेलकै भालू कविवर
पठबैत-पठबैत मोन थाकि गेल
मुदा छपलौं नै एक्को आखर
कविता-कहानी लेख-आलेख धरि
सब विधा लिखै छी हम एसगर
मूर्ख सम्मेलनमे पूछ हमर अछि
परसी हास्य-व्यंग चटनी रसगर
राजा शेर हमर लऽगक सम्बन्धी
साहित्यक अध्यक्ष हाथी भाइ हमर
अन्ट-सन्ट छापि भरलौं अहाँ पोथी
हमर अनमोल वचन फेकलौं किम्हर
सुग्गा संपादक ठण्ढा कऽ बाजल
सरकारी डाक नै पहुँचल मान्यवर
इन्टरनेटक युगमे सीधे जुड़ि जाउ
बना ई-मेल भेज दियौ आखर
*कतौ एकटा कविता पढ़ने छलौं जेकर भाव किछु ई-मेल बला छल*
अमित मिश्र
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