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लघु कथा
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बुधवार, 8 मई 2013
रुबाइ
रुबाइ-169
तूँ प्रेम करै छें वा जादू- टोना
तूँ मोहलें करेजक सबटा कोना
हम तेजब प्राण अहुरिया काटि, सुन
बनबें जँ नै अमितक आँगनक सोना
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