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लघु कथा
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सोमवार, 2 फ़रवरी 2015
बाल कविता- बात कहै छी तोरेसँ
बाल कविता-160
बात कहै छी तोरेसँ
बात कहै छी तोरेसँ
काज करै जो भोरेसँ
मजा एतौ नै थोड़ेसँ
देबौ चिन्नी बोरेसँ
नीन खुलौ नै नोरेसँ
हँसिते रहिंहें भोरेसँ
सिखतौ सब किओ तोरेसँ
पढ़िहें सब किछु जोरेसँ
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