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मंगलवार, 13 नवंबर 2018

चानक यात्रा

बाल कविता- 5.29
      चानक यात्रा

चान पुनिमक देख बाजल
एक   दिन   बबलू   बौआ
जेबै   चानपर  हमहूँ मम्मी
द'   दे   तूँ   किछ    ढौआ

धरतीसँ     लागैए     हमरा
एकटा      सुन्दर       गोला
भाड़ापर   ल'   लेबै   मम्मी
एकटा          उड़नखटोला

किछ  जोड़ा  कपड़ा   लेबै
आ करबै   नै  बड  ओजन
कने  पौर   दे  द'ही   मम्मी
भरि  रस्ता     लए   भोजन

रस्तामे   भेटत    जँ   मम्मी
कोनो     लोकक       बस्ती
ओहि   ग्रहपर  कने  ठहरबै
करबै   किछु   पल     मस्ती

पहुँचि   ओत'  उपराग   देबै
हम    नै      बुझबै      गामा
घर    ने  कहियो  आबै   छी
अहाँ      केहन   छी     मामा

©अमित मिश्र

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