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लघु कथा
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शनिवार, 16 मार्च 2013
शायरी
बेचारा फँस गया है शब्दों के भूल-भुलैया में
प्यार के सागर में,जब से बैठा है दिल के नैया में
साफ लहजे में तोड़ दे मोहब्बत की दीवार
इतना दम कहाँ बचा है अब उसके कलैया में
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