नैनक पाती पढ़ि कऽ हम भेलहुँ भाव-विभोर आखर आखरमे लिखल छल नेहक भीजल नोर
कलम कतहु नहिं थाकल अछि नहिं भाव भेल मलीन आखर आखर अभिमंत्रित सन कवि लगैछ प्रवीण
भोरूका रौदक प्रथम छुअन सन छूबि लेत छल गीत साल साल भरि आँखिक सोझा रहै मीतक ओ संगीत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें