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शनिवार, 14 नवंबर 2015

चरिपतिया

नैनक पाती पढ़ि कऽ हम
भेलहुँ भाव-विभोर
आखर आखरमे लिखल छल
नेहक भीजल नोर

कलम कतहु नहिं थाकल अछि
नहिं भाव भेल मलीन
आखर आखर अभिमंत्रित सन
कवि लगैछ प्रवीण

भोरूका रौदक प्रथम छुअन सन
छूबि लेत छल गीत
साल साल भरि आँखिक सोझा
रहै मीतक ओ संगीत

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