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बुधवार, 3 मई 2017

बच्चा सपना देखै छै

बाल कविता-262
बच्चा सपना देखै छै

छोट   घरमे    संग चच्चा छै
माए   एकटा   एक बच्चा छै

चच्चा भरि दिन खेत जोतै छै
बच्चा  खाली  माटि   खोदै छै

माए    सिबै  छै  कपड़ा-लत्ता
बाच्चा    बिछै   आमक  पत्ता

बच्चा  सपना  खूब    देखै  छै
टाकाक  ओत'  गाछ  रोपै  छै

चारितल्ला   नव   घर बनै छै
कपड़ा- गहनासँ माए सजै छै

साँझे खा क'    खूब    सुतै छै
असली जिनगी ओतै जिबै छै

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