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शनिवार, 16 मार्च 2013

कागतक घर

बाल कविता-17

कागतक घर

फाड़ि-फाड़ि कऽ काँपीसँ पन्ना
बना रहल छै कागतक घर
किछु मोहन, किछु बनेलक मुन्ना
बसा रहल छै गाम आ चऽर

एकटा गाय सेहो छै दुधगर
टू टा बरद आ एकटा हऽर
माँझ चौबट्टी लताम झमटगर
ताहिपर लुबधल पाकल फऽर

सजा देलक नव-नव रंगसँ
पियर, उज्जर, लाल आ हरियर
सजल सपनाक नव महल ढंगसँ
बनौनिहारकें नै छै कोनो डऽर

उमंगमे नाचै निचैन भऽ कऽ
सृजनहार संग सृजन भेल चऽर
एलै कतौसँ पवन आतंकी बनि कऽ
उड़ा लऽ गेलै कागतक घर

अमित मिश्र

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