बाल कविता - 183
वर्णमाला : क
'क'सँ कौआ 'क'सँ कौआ
गोर गोर बौआ
कारी कारी कौआ
भोरे उठैए, खूबे उड़ैए
घुमिते रहैए, साँझे आबैए
थाकि सुतैए, बौआ-कौआ
'क'सँ कौआ, 'क'सँ कौआ
गीत गाबैए, हँसै-बाजैए
लोल मारैए, आम खसबैए
नीक लागैए, कारी कौआ
'क'सँ कौआ, 'क'सँ कौआ
आँगन आबैए, दाना चुनैए
जखने देखैए, फुर्र दऽ उड़ैए
खेल करबैए, कारी कौआ
'क'सँ कौआ, 'क'सँ कौआ
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