बाल कविता-197
वर्णमाला : ध
"ध"सँ धनुष हमरो चाही
निशाना लागत देब वाहवाही
आनि दिअ एक फट्ठी बाबा
संगमे रस्सी कनिञे टा
लिबा कऽ तकरे अपना खातिर
धनुष बनायब कनिञे टा
फाड़ि अगरबत्ती केर पैकेट
तरकस बनतै एक्के टा
तोड़ि कऽ सनठी तीर बनेबै
तोड़ब अमरूद नब्बे टा
जहिना राम रहै छथि सदिखन
टाँगि धनुष ओहि फोटोमे
तहिना हमहूँ रहब बाबा
मारब राक्षस छोटोमे
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