बाल कविता- 196 वर्णमाला : द
"द"सँ दही खएले करी
चिन्नी के आनि चूड़ामे सानि सुरकल करी खूबे दही
दहीकेँ तोड़ि पातर कऽ घोरि पीयल करी सरबत दही
करहीमे घोरि भातोमे बोरि खएले करी ताजा दही
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