बाल कवीता - 182
वर्णमाला : अं
'अं'सँ अंगूर
सुप्पक अंगूर
भालूक घरपर
देखलक लंगूर
देखिते मुँहमे
एलै पानि
चोरा कऽ तोड़लक
मिठगर जानि
खुशी मगन भऽ
गेलै घर
धोइ-धाइ आनलक
नम्हर फर
मुँहमे जखने
देलकै एकटा
मुहँ विधुएलै
लगलै खट्टा
पाइक कीन कऽ
खैतय लंगूर
तखने लागतै
मीठ अंगूर
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