बाल कवीता -181 वर्णमाला : औ
'औ'सँ औरा होइ छै बाउ साँझ-भोर कऽ खूबे खाउ बड गुणगर तेँ लाभ उठाउ सब बिमारी दूर भगाउ एकर मोरब्बा खूबे खाउ वा हलुआ अचार बनाउ कने कऽ चटनी अहाँ खाउ आँखिक रोशनी खूब बढ़ाउ
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