प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

मंगलवार, 16 जून 2015

वर्णमाला : ओ (दू)

बाल कविता : 180
वर्णमाला : ओ (दू)


'ओ'सँ ओल एन्ना दे
बना बना कऽ सन्ना दे
लगलौ सन्ना कब कब कब
चिन्नी आनि दुगुन्ना दे

खा कऽ जेबौ पढ़ै लेल
पोथी केर एक पन्ना दे
चढ़ि कऽ जेबौ इस्कूल धरि
आनि कने गुड़कुन्ना दे

राति, अन्हरिया गुजगुज छौ
कीन कतौसँ चन्ना दे
भुकभुक बत्ती भगजोगनी केर
घरमे भरि दस गुन्ना दे

कम्मे खेलबौ कम्मे घुमबौ
गुड्डी लेल एक फन्ना दे
खेलैत खेलैत लागलौ भूख
कने ओल केर सन्ना दे


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें