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रविवार, 22 मार्च 2015

एकता


बाल कविता-164
एकता

उड़य चिड़ैयाँ ऊँच गगनमे
बीस तीस टा बान्हि हुजूम
तहिना चुट्टी चलय पाँतिमे
टुटिते पाँति हएत जुलूम
चान, तरेगण संग उगि कऽ
सिखा रहल अछि पाठ एकटा
सदिखन सभक संगे रहू
एकरा कहल जाइछ एकता

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