बाल कविता-100
रघुपति राघव राजा राम
भोरे साधु बाबा एलथि
घूमि घूमि कऽ बहुते धाम
नम्हार झोड़ा देख डेरेलथि
सोन बौआकेँ साँसे जाम
चौकी तऽरमे भागि नुकेलथि
चिकरि कऽ केलथि बड कोहराम
मम्मी, काकी, बाबी एलथि
गप बुझने बिनु त्राहिमाम
गप बुझि साधु जाप केलथि
रघुपति राघव राजा राम
डर कम भेल झट बहरेलथि
ईनाममे पेलथि खूब बदाम
जे डरल से मरल बुझू
जीवन पथपर पूर्ण विराम
जँ डरि जेतै सूरज चन्ना
अन्हारे रहितै आठो याम
जँ डरबे तूँ कतौ बौआ
हारिये टा भेटतौ सब ठाम
हिम्मत बान्हि काज शुरू कर
सफल करेथिन राजा राम
अमित मिश्र
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