प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

चरिपतिया


सुरभित मज्जर गाछकेँ अछि
सजा रहल नव रूप
विहुँसैत प्रकृति पातपर
लागय दृश्य अनूप

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झील सन दुहु नयन
कमल फूल सन गाल
माछ सन चंचल वदन
औ जी करय कमाल

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जीवनक बोझ तर दबल
बौआ रहल सगरो दुनियाँ
जीवन सुखमय बनैए तखने
जँ आँगन आबथि बुधिगर कनियाँ

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नैनक बाटे पैस कऽ
धड़कन धरि चलि एलौं
एहन रोग लगेलौं जे
सपनो धरि सन्हियेलौं

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एहि अन्हरमे फसि कऽ
लोक भेलै वेपर्द
अंग झाँपै लेल आबऽ दैवा
बनि कऽ मोसम सर्द

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नीम गुरीच बनल भरि दुनिया
मधु केर अभाव
टिभकि रहल अछि मोन बड
चैती केर प्रभाव

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हमर गीतक भासपर
नाचय तोहर मोन
प्रीतक बस एतबे परिभाषा
हम चानी तूँ सोन

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एहि जगतीमे सभक संगे
स्नेहक डोरी जुड़ल रहय
बस एतबे अभिलाषा हमर
किओ ने हमरा गलत कहय

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बड भारी अपराध तेँ
डोलि रहल अछि धरती
प्रकृतिकेँ दोहन केलासँ
जीबि सकत नहिं जगती

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बनलौं जहिया मनमीत हमर
ओहि दिनसँ होली भऽ रहलै
नेहक इंधन पीबि-पीबि
जिनगीक इंजन दौड़ऽ लगलै

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प्रेम भावना तप त्याग
सब लगैए व्यर्थ
डेग डेगपर माँगैए
बात बातपर अर्थ

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अनुशासनसँ बन्हा कऽ
माँगल जाइछ जे भिक्षा
लीबि कऽ रहब सिखबै
ओकरे कहै छी शिक्षा











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