बाल कविता-88
हाथ धोने आ
बाटीमे भरल छै आमक गारा
दूरेसँ देखै छै करिया पारा
पाराक देहपर लुधकल माँछी
शीतल बसातसँ नाचै छै गाछी
टकटकी लगेने छै बाटीपर
ढाही मारै खऽढ़क टाटीपर
एना नै देबौ मिसियो गारा
आ नै खुएबौ हरियर चारा
हाथ छौ गन्दा हेतौ बेमारी
पड़तौ सुइया दर्दक बारी
पोखरि जा कऽ हाथ धोने आ
जीवाणु-किटाणुकेँ दूर केने आ
तखने देबौ आमक गारा
तेँ हाथ धोने आ रौ पारा
अमित मिश्र
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