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शनिवार, 15 नवंबर 2014

किछु लिखा नै रहल

249.

लिखबाक छल जे किछु लिखा नै रहल
पददलित अछि मुँह तेँ बजा नै रहल

अपराध बढ़िते रहत डर नै कतौ
कोनो सजा एखन सजा नै रहल

साधैक खातिर लक्ष्य की सब करब
रस्ता सही की छै, बता नै रहल

सब ठाम भेटल एक सन दुख-दरद के अपन के दोसर पता नै रहल हम मानि गप अहाँ जे कहल
घाटा-नफा हमरा गना नै रहल

2212-2212-212

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