प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 10 जनवरी 2016

उल्टा-पुल्टा

बाल कविता-226
उल्टा-पुल्टा

लागै सूरज पूबसँ पश्चिम
लगा रहल छै चक्कर जी ।
मुदा लिखल छै धरती नाँचै
बात माँनब हम कक्कर जी ।।

चान मेघ त' संग उड़ै छै
तखन होइ नै टक्कर जी ।
लाख तरेगण उप्पर लटकल
राज कथी छै एक्कर जी ।।

कतौ छै गर्मी कतौ ठंढी
मोसम छै घनचक्कर जी ।
उल्टा-पुल्टा प्रकृति छै त'
पाठ पढ़ब फेर कक्कर जी ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें