बाल कविता-247
🌷मच्छर रानी🌷
मच्छर मच्छर मच्छर रानी
तोरे लेल छै मच्छरदानी
साँझे पहरसँ तूँ आबै छें
भिनभिन क' गीत गाबै छें
होइए सबकेँ बड परेशानी
लोल तोहर छौ बड धरगर
पीबै छेँ तूँ शोणित हड़बड़
मोन पड़ैए दर्दसँ नानी
बाँटै छें तूँ बिमारी नम्हर
डेंगू मलेरिया दै छें घर घर
सोचि सोचि टिभकैए चानी
मैक्सो-तेक्सो फेल भ' जाइए
तोहर अबैया नहिये रूकैए
दया कर बालकपर रानी
अमित मिश्र
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