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बुधवार, 13 जनवरी 2016

चूड़ा लाउ दही लाउ

बाल कविता-227
चूड़ा लाउ दही लाउ

चूड़ा लाउ दही लाउ
पहिने केरा पात साजाउ

बुनियाँ लाउ रसगुल्ला लाउ
पहिने अहाँ पात धुआउ

चटनी लाउ अचार लाउ
पहिने अपन हाथ धुआउ

चिन्नी लाउ जिलेबी लाउ
पहिने कक्का भोग लगाउ

आब जे बचल, काज कराउ
नै नै बौआ खाउ खाउ

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