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गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014

गजल-दुखरा सुनाबै किए छी

गजल-2.48

सबकेँ अपन दुखरा सुनाबै किए छी
अपनेपर तँ जगकेँ हँसाबै किए छी

छै देबालकेँ कान ई बात जानल
मनमे सदति गप दोहराबै किए छी

चोरल लेल ताला कखन धरि टिकत यौ
कोनो गप हियामे नुकाबै किए छी

देशक हाल जनताक करणीक फल अछि
वोटक बाद नोरो बहाबै किए छी

नै छै मोल कोनो गरीबक जगतमे
बुझितो ई बात मूड़ी उठाबै किए छी

2221-2212-2122

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