गजल-2.47
पवनि-तिहारक सदिखन मेला एकटा हिन्दुस्तानमे
सब धरमक छै रेलमरेला एकटा हिन्दुस्तानमे
एकहिँ ठा पीबय बकरी आ बाध जल, सब मित्रवत रहि
खूब चलै छै नेहक खेला एकटा हिन्दुस्तानमे
एतऽ कतहु नै रोकल जायत घूमि लिअ सगरो देशमे
बनल रहू सदिखन अलबेला एकटा हिन्दुस्तानमे
देश किसानक एखन धरि अछि माँटि सोना उगलै बहुत
हरियर राँगल खेतक ढेला एकटा हिन्दुस्तानमे
ज्ञान बहुत अछि भारतमे लुरिगर बहुत अछि कारिगर सब
पढ़ल-लिखलमे ठेलमठेला एकटा हिन्दुस्तानमे
2112-2222-2212-22212
पवनि-तिहारक सदिखन मेला एकटा हिन्दुस्तानमे
सब धरमक छै रेलमरेला एकटा हिन्दुस्तानमे
एकहिँ ठा पीबय बकरी आ बाध जल, सब मित्रवत रहि
खूब चलै छै नेहक खेला एकटा हिन्दुस्तानमे
एतऽ कतहु नै रोकल जायत घूमि लिअ सगरो देशमे
बनल रहू सदिखन अलबेला एकटा हिन्दुस्तानमे
देश किसानक एखन धरि अछि माँटि सोना उगलै बहुत
हरियर राँगल खेतक ढेला एकटा हिन्दुस्तानमे
ज्ञान बहुत अछि भारतमे लुरिगर बहुत अछि कारिगर सब
पढ़ल-लिखलमे ठेलमठेला एकटा हिन्दुस्तानमे
2112-2222-2212-22212
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें