गजल-2.46
सबकेँ फँसबैत, जाल नै, महाजाल छी अहाँ
प्रेमक सतरंजपर अचूक सन चाल छी अहाँ
सुर साधै लेल सब कहैत अछि जे रियाज कर
बिनु केने किछु रियाज सधल सुर-ताल छी अहाँ
बीतल छल दुख जते, अहाँक लग दूर होइ छै
सदिखन लागय सजल-धजल नया साल छी अहाँ
नेहक एहन चढ़ल रंग जे उतरि नै रहल
हरियर वा पियर जानि नै कते लाल छी अहाँ
सपनामे बस अबैत छी तड़प दैत जाइ छी
जल्दी चलि जाइ छी समयक कंगाल छी अहाँ
2222-1212-1221-212
सबकेँ फँसबैत, जाल नै, महाजाल छी अहाँ
प्रेमक सतरंजपर अचूक सन चाल छी अहाँ
सुर साधै लेल सब कहैत अछि जे रियाज कर
बिनु केने किछु रियाज सधल सुर-ताल छी अहाँ
बीतल छल दुख जते, अहाँक लग दूर होइ छै
सदिखन लागय सजल-धजल नया साल छी अहाँ
नेहक एहन चढ़ल रंग जे उतरि नै रहल
हरियर वा पियर जानि नै कते लाल छी अहाँ
सपनामे बस अबैत छी तड़प दैत जाइ छी
जल्दी चलि जाइ छी समयक कंगाल छी अहाँ
2222-1212-1221-212
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