प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 26 अक्तूबर 2014

किछु गीत एहन रचि दी मीता

गजल-2.45

किछु गीत एहन रचि दी मीता इतिहास बनय जे अगिला बेर
किछु बात एहन कहि दी जगमे सब याद रखय जे अगिला बेर

दिन राति सदिखन जीवन पर्दापर किछु नव-पुरान सन अभिनय होइ
नाटक कने एहन खेली सगरो खेल करय जे अगिला बेर

नै प्रीत बेसी नै बेसी झगड़ा रह सदति बराबर सब लेल
नित कर्म एहन राखी मीता अनुकरण करय जे अगिला बेर

छै दोष ककरो आ भेटै ककरो सजाय, ई घटलै युगसँ
कहियोक ई गलती मारुक, आतंकी बनबय जे अगिला बेर

निज गाम तजि एलहुँ बाहर पर सुख-चैन कतहु नै भेटय "अमित"
निज देशमे परदेशी बनि कुहरी, टीस उठय जे अगिला बेर

2212-2222-2221-2122-221

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें