गजल-2.39
आब अरजल लाज बचायब बड कठिन अछि
भखरि रहल समाज बचायब बड कठिन अछि
लोभक कारणसँ बदलल अछि कुरसी-कथा
पाइ बलासँ ताज बचायब बड कठिन अछि
छैक बहीर गाम अपन, आन्हर छैक सब
गीतसँ सजल साज बचायब बड कठिन अछि
धोधि अपन भरै सब, छै लूट मचल बहुत
आइ अपन अनाज बचायब बड कठिन अछि
मीतसँ गप नुकायब संभव नहि अछि "अमित"
बंद रखल दराज बचायब बड कठिन अछि
2112-12112-2112-12
आब अरजल लाज बचायब बड कठिन अछि
भखरि रहल समाज बचायब बड कठिन अछि
लोभक कारणसँ बदलल अछि कुरसी-कथा
पाइ बलासँ ताज बचायब बड कठिन अछि
छैक बहीर गाम अपन, आन्हर छैक सब
गीतसँ सजल साज बचायब बड कठिन अछि
धोधि अपन भरै सब, छै लूट मचल बहुत
आइ अपन अनाज बचायब बड कठिन अछि
मीतसँ गप नुकायब संभव नहि अछि "अमित"
बंद रखल दराज बचायब बड कठिन अछि
2112-12112-2112-12
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