गजल-2.41
हाथपर हाथ रखने काज नै चलैत अछि
आत्मबल ठोस रहने कर्म फल पकैत अछि
लाख हथियार राखल, लाख रथ सजल-धजल
सारथी आ रथी बिनु युद्ध नै लड़ैत अछि
चुप्प रहितो समझि गेलौं अहाँक सब कथा
नीर भरि आँखियो सब किछु कहैत अछि
अपन जीतक कथा बढ़ि-चढ़ि कऽ सब कहैत अछि
जीत आनक तँ ककरो नै पचैत अछि
संग चाही सभक, उन्नति तखन सभक "अमित"
एक हाथसँ कतौ ताली तँ नै बजैत अछि
2122-1222-1212-12
हाथपर हाथ रखने काज नै चलैत अछि
आत्मबल ठोस रहने कर्म फल पकैत अछि
लाख हथियार राखल, लाख रथ सजल-धजल
सारथी आ रथी बिनु युद्ध नै लड़ैत अछि
चुप्प रहितो समझि गेलौं अहाँक सब कथा
नीर भरि आँखियो सब किछु कहैत अछि
अपन जीतक कथा बढ़ि-चढ़ि कऽ सब कहैत अछि
जीत आनक तँ ककरो नै पचैत अछि
संग चाही सभक, उन्नति तखन सभक "अमित"
एक हाथसँ कतौ ताली तँ नै बजैत अछि
2122-1222-1212-12
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