प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

हाथपर हाथ रखने

गजल-2.41

हाथपर हाथ रखने काज नै चलैत अछि
आत्मबल ठोस रहने कर्म फल पकैत अछि

लाख हथियार राखल, लाख रथ सजल-धजल
सारथी आ रथी बिनु युद्ध नै लड़ैत अछि

चुप्प रहितो समझि गेलौं अहाँक सब कथा
नीर भरि आँखियो सब किछु कहैत अछि

अपन जीतक कथा बढ़ि-चढ़ि कऽ सब कहैत अछि
जीत आनक तँ ककरो नै पचैत अछि

संग चाही सभक, उन्नति तखन सभक "अमित"
एक हाथसँ कतौ ताली तँ नै बजैत अछि

2122-1222-1212-12

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें