बाल कविता-168 वर्णमाला : इ
'इ'सँ इनार भरल छै यार ठंढा छै पानि साबुनके आनि बाल्टी डुबाउ खूबे नहाउ गर्मीकेँ घरसँ बाहर भगाउ
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