प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

सोमवार, 19 मार्च 2012

गजल

‎( बहरे-वाफिर ) खतम सब काज भेल हमर ,
स्वतंत्र मिजाज भेल हमर ,
कतौ जिनगी छलै धधकै ,
खुशी पर राज भेल हमर ,
पुरान जँ गाछ , मज्जर नव ,
अपन त' अवाज भेल हमर ,
सरस पल भेल बड दिन पर ,
सदेह इलाज भेल हमर ,
सदिखन गजल लिखैत रहब ,
"अमित" नव साज भेल हमर . . . । ।
बहरे-वाफिर
{मुफाइलतुन /U-I-U-U-I 2 बेर सब पाँति मे}
अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें