बाल कविता-91
बेबीक जेबीमे
बेबीक जेबीमे गरम जिलेबी
रसगर कड़कड़ नरम जिलेबी
चलैत बाटपर मोन ललचाइ छै
जेबीसँ निकालि कऽ झट दऽ खाइ छै
ठोपे-ठोपे रस बहल जाइ छै
बाटक गर्दामे चिन्नी सनाइ छै
मीठक टघार देख चुट्टी हरान छै
बौआ रौ मीठ तँ चुट्टीक पराण छै
आगू-आगू बेबी भागल जाइ छै
पाछूसँ चुट्टी दौड़ल आबै छै
बेबीक जिलेबी नै खतम भेलै
चुट्टीक पाँति बौआ बढ़िते गेलै
जेबीमे बन्द जिलेबी नै भेटलै
चुट्टीक तामस खूब बढ़ि गेलै
चुट्टी काटलकै चुप्पे-चाप
बेबी कानलै बाप रे बाप
अमित मिश्र
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