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शनिवार, 3 अगस्त 2013

हाथी गेलै भोज खाए

बाल कविता-95
हाथी गेलै भोज खाए

एक जंगलमे पण्डीत हाथी
खाली सदिखन पेटक भाथी
एक बेर बकरी केलकै व्रत
भोजनमे एलै हाथी मस्त
भोजनमे आलूक परौठा
खा रहलै चाटि-चाटि औंठा
आँटा खतम आलू निंघटल
पेट एखन आधो नै भरल
घामे-पसीने बकरी कानै
खाली पेट तँ भोजन जानै
अन्तमे बकरी केलक प्रणाम
धन्य प्रभु !आब दियौ विराम
हाथी बाजल "हम नै मानबौ"
और खेबौ, घरो लऽ जेबौ
कानै बकरी, हाथी बजा कऽ
खाइ छै हाथी सूँढ़ नचा कऽ

अमित मिश्र

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