प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 12 जनवरी 2014

ओ प्रीत दिअ बस आनि कऽ

गजल- 1.78

हँसि हँसि कऽ दिअ वा कानि कऽ
ओ प्रीत दिअ बस आनि कऽ

अछि गीत अखरा लय बिनु
की करब मुखड़ा जानि कऽ

छथि इन्द्र मुट्ठी बान्हि कऽ
बरखा करत की तानि कऽ

बड करब आदर हम सब
देखू अपन बस मानि कऽ

अछि मरल लाखो प्रेमसँ
देखू तरेगण गानि कऽ

2212-2211

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