प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

हाइकु

यादें आ कर
तड़पाते हैं अब
काँटों के दिन

भूखे के घर
दिवाली नहीं होती
काली रात को

दिल के जख्म
दिखाये नहीं जाते
चौराहे पर

पंक्षी के पर
कतर दिये जाते
राजनीति में

हँसते नहीं
हँसाते हैं हम तो
जोकर बन

पीली सरसो
खेतों के संग होली
खेल रही है

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