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शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

चल बौआ चल

अझुका रचना- बाल कविता(गीत)
293. चल बौआ चल

चल चल बौआ चल चल चल
रूकिते बनबें तूँ अथबल
एखन मेहनति मन भरि क' ले
बादमे भेटतौ सभटा फल

ठमकल पानि त' गंदा होइ छै
चलैत रहै त' गंगा होइ छै
बैसले बैसले आलस ध' लै
चलिते रहिते चंगा होइ छै
कनिये ज्ञान सुरूज सँ ल' ले
चलैत रहै छै धरि झलफल
चल चल बौआ चल चल चल
रूकिते बनबें तूँ अथबल

अझुका काज तूँ आइये क' ले
मोन करौ त' छुट्टी ल' ले
मुदा बचौ ने काल्हि लए किछ
राम कसम ई सप्पत ल ' ले
भरि दिनमे किछु नव करें तूँ
तखने हेबें तूँ त' सफल
चल चल बौआ चल चल चल
रूकिते बनबें तूँ अथबल

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