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सोमवार, 18 मार्च 2013

उदयन नाट्य कला परिषद प्रोषित पतिका जकाँ विशाल पथपर संस्कृतिक बाट जोहैत




असलमे कोनो सँस्कृति ,भाषा आ साहित्य अपनेसँ जनम नै लै छै ,जनम दिअ पड़ै छै ।अपने नै जीबै छै ,जीया कऽ राखऽ पड़ै छै ।मिथिलाक बिलुप्त होइत संस्कृतिमे एकटा अछि नाटक ।बेसी दिन नै ,दस-पनरह वर्ष पहिने धरि मिथिलाक सब गाममे नाटकक मंचन होइत छल मुदा आब महानगरक कोनो छोट-छीन सभागारमे जा कऽ बन्न भऽ गेल अछि गमैया नाटक ।नाटक साहित्यक एहन विधा छै जकरा किओ असगरे नै सम्हारि सकैछ ।नाटकक लेल दसकेँ सहयोग चाही ।अर्थोपार्जनक लेल मैथिल परदेश जा बसि गेलनि ।सहयोगमे उठैत हाथ कोसो दूर मशीनक स्वीचपर नाचऽ लागल आ मैथिली नाटकक मंच विरहिन जकाँ मंचक सहयोगीत बाट जोहि रहल अछि ।दक्षिणमे समस्तीपुरक कतेको गाममे मैथिली नाटकक सफल मंचन होइत छल जाहिमे मुजौना ,विद्यापति नगर आ करियनक नाटक उल्लेखनिय अछि ।बता दी जे करियन उदयनाचार्यक जन्मस्थलीक रूपमे जानल जाइत अछि तें एहि ठाम प्रतिभाक कमी नै अछि ।ई गाम पण्डितक गाम अछि ।करियनमे शिक्षकक कमी नै अछि ।कहबाक मने छल जे करियन विद्वानक नगरी अछि ।एहि गामक भाषा पहिनहियों मैथिली छल आ एखनो मैथिली अछि ।मैथिलीक प्रति समर्पण भावक पता एहि बातसँ लगाओल जा सकैछ जे गामक मध्य विद्यालयमे शिक्षक-छात्रक बीच संबादक भाषा एखनो मैथिलीये अछि ।ग्रामवासीकेँ मैथिली प्रेम नेनपनेसँ लागि जाइत छल/अछि ।इएह कारण अछि जे करियनक मैथिली नाटक उच्च कोटीक होइत छल ।

करियनक एक मात्र नाटक संस्था "उदयन नाट्य कला परिषद"क स्थापना साठिक दशकमे बाबू साहेब पाठक केलनि जाहिमे विशेष सहयोग लम्बोदर ईसर ,शशीकान्त झा ,पं॰ अनिरूद्ध ठाकुर देलनि ।ई सब गोटे विभिन्न क्षेत्रक माँजल कलाकार छलथि ।करियन चौकपर एकर कार्यालय बनाओल गेल आ ओतै संस्था द्वारा सबटा नाटकक मंचन होइत छल ।ई संस्था मैथिली नाटककेँ प्राथमिकता देलक आ ओहि जमानाकेँ सफल नाटककारक नाटकक मंचन कऽ इलाका भरिमे अपन नामक डंगा बजा देलक ।तीन दिनक कार्यक्रमकमे कमसँ कम दू दिन मैथिली नाटक खेलनाइ अनिवार्य छल ।दूर-दूरसँ लोक मात्र एतुका नाटक देखबाक लेल आबैत छलाह ।नाटकक फरमाइस होइत छल आ ई मंच दर्शक उम्मेदपर सदिखन खड़ा उतरैत छल ।1970 सँ पहिने पं॰ जीवन झाक "सुन्दर संयोग" आ रघुनंदन दासक "सीता स्वयंबर" नाटकक मंचन कऽ नाट्य कलाकेँ एकटा नव रूप देल गेल ।किछु वर्षक बाद संस्थाक संचालन आ रचनात्मक सहयोग कृतिनारायण झा आ कामदेव पाठक दिअ लागलनि ।कामदेव पाठक सबसँ बेसी नाटकक निर्देशन केलनि ।एहि समयमे प्रो॰ ईसनाथ झाक नाटक "चीनीक लड्डूक" मंचन एहि मंचसँ सबसँ बेसी सात बेर भेल ,जाहिमे मुख्य अभिनय हिराकान्त ईसर ,रामसेबक ठाकुर ,मणिकान्त झा ,गंगेश पाठक ,तेजनारायण कमती आ भुटकिन झा केलनि ।ई नाटक मंचकेँ और बेसी प्रसिद्ध कऽ देलक ।
एहि मंचसँ सबसँ बेसी लोकप्रिय नाटक रहल विद्यानाथ रायक "विद्यापति" जाहिमे विद्यापतिक अभिनय चन्द्रदेव पाठक आ हुनक पत्निक अभिनय मणिकान्त झा ,शिव सिंहक अभिनय रामचन्द्र चौधरी केलनि ।उगनाक अभिनय सब बेर अलग अलग कलाकार केलनि जाहिमे रामसेबक ठाकुर आ गिरिजा नन्द पाठक प्रमुख छथि ,केलनि ।ई नाटक एतेक प्रसिद्ध भेल जे दर्शकक झूण्ड कतेको बेर एहि नाटकक मंचन करबेलक ।उगनाक अभिनय एतेक सुन्नर भेर छल जे लागैत छल साक्षात महादेव आबि गेल छथि ।माँझ मंचपर जटासं गंगा धार बहा देल गेल छल ।कहल जाए तँ सबसँ बेसी सफल नाटक रहल "विद्यापति" ।

बरसातक बाद ,जाड़क प्रवेशक संग दुर्गा पूजाक अवसरपर कतेको दिनक परिश्रमक बाद मंचित होइत नाटक पर दर्शकक सफल प्रतिक्रिया पाबि संस्था आ एहिसँ जुड़ल कलाकारक उत्साह बढ़ैत गेल ।ई समय छल जखन एहि मंचक सफलता देख अगल-बगलकेँ कतेको गाममे नाटकक मंचन हुअ लागल ।नव नव कलाकार जनम लिअ लागलनि ।सहयोगीक संख्याँ बढ़ैत गेल ।ई एहि परिषदक स्वर्णिम समय मानल जा सकैछ ।पुरान कलाकारक संग-संग युवा कलाकाकर सब अपन कलाक धार पिजबैत रहलाह आ परिषद लऽग कलाकारक भीड़ लागि गेल ।हालत एहन भऽ गेल जे कतेको कलाकारकेँ दर्शक दिर्घामे जा कऽ बैसऽ पड़ैत छल ।एहि बीच तीन बेर गोविन्द झाक लिखल "बसात"क मंचन भेल ।बसातक पहिल बेरूक मंचनमे गंगेश पाठक ,मणीकान्त झा ,गिरिजा नन्द पाठक ,रामसेबक ठाकुर ,रामचन्द्र चौधरी ,राघवेन्द्र झा ,जयकान्त झा छलथि ।दोसर बेर जयकान्त झा ,राघवेन्द्र जा ,चन्द्रशेखर कमती ,गोपाल झा ,तृप्ति नारायण झा, राजाराम पाठक,शारदानन्द मिश्र ,इन्द्रभूषण चौधरी.मुनेश्वर झा ,अजीत झा,विरेन्द्र मिश्र ,फूल झा छलथि ।तेसर बेर शारदान्द मिश्र,गोपाल झा,तृप्तिनारायण झा,रमेश झा,उमेश झा,धिरेन्द्र,श्यामकुमार ,संजीत झा.नवीन कु॰ मिश्र ,प्रविण पाठक ,अरूण कमती ,शिवकुमार झा ,संजीत कु॰ झा आ अभिनेत्रिक अभिनय पवन झा केने छलथि ।निर्देशन शारदानन्द मिश्र केलनि जे नायक कृष्णकान्तक पिताक भावपूर्ण अभिनय केलनि ।
एकर बाद मणिपद्मक "झुमकी" ,रामचन्द्र चौधरीक "पिया मोर बालक" ,महेन्द्र मलंगियाक "एक कमल नोरमे" ,उत्तम लाल मण्डलक "इजोत" ,अरबीन्द अक्कूक "तालमुट्ठी" ,ललन प्रसाद ठाकुरक "लोंगिया मिरचाइ" सन कतेको नाटकक सफल मंचन कएल गेल ।

फेर कवि कालीकान्त झा "बूच"क लिखल कथा "धर्मशास्त्राचार्य"केँ नाटकक रूप दऽ मंचल कएल गेल जाहिमे गुरूक भूमिकामे चन्द्रदेव पाठक आ शिष्यक चरित्रमे राजाराम जी छरथि ।अफसोसक गप ई अछि जे नाटककार लऽग एहि नाटकक पोथी उपलब्द्ध नै रहि सकल ।ई नाटक मात्र किछु गोटेक स्मृतिमे बन्न अछि ।भारतिय संगितक जानल - मानल हस्ती करियनक उमाकान्त पाठक ,श्यामाकान्त पाठक आ गोपाल पाठक तीनू गोटे अपन संगीत कलाक प्रदर्शन करैत छलथि ।

बीचमे एकटा और नाट्य संस्था "कृतिनारायण नाट्य कला परिषद" खुजल ।शुरूमे ई परिषद रामलिला पार्टी छल मुदा बादमे नाट्य कलाक लेल समर्पित भऽ गेल ।एकर मुख्य अभिनेता रामस्वरूप झा छलथिन ।ई परिषद अर्थोपार्जनक लेल खुजल छल ।सालमे 9 मास परिषदक काज बाहरे चलैत छल मुदा शेष तीन मास गाममे अपन सेवा दैत छल ।निजी तौरपर आ उदयन नाट्य कला परिषद दुनूमे सहयोग भेटैत छल ।कृतिनारायण नाट्य कला परिषदक मंचसँ गुलाबबाग(पूर्णियाँ)मे "विद्यापति" नाटकक मंचन भेल अछि ।



 जखन धरि किछु नव नै कएल जाएत ,दोसरसँ हटि कऽ नै काएल जाएत तखन धरि प्रसिद्ध भेनाइ असम्भव अछि ।करियनक मैथिली नाटककेँ एते प्रसिद्ध हेबाक मुख्य कारण छल मैथिलीक प्रति समर्पण ।एतऽ उदघोषणासँ लऽ कऽ गीत-संगीत धरि मैथिलीए मे होइत छल ।संगीतक क्षेत्रमे उमाकान्त पाठक ,श्यामाकान्त पाठक ,गोपाल पाठक आ केदार पाठकक नाम उल्लेखनिय अछि ।बाँसुरी आ हारमोनियमक प्रसिद्ध कलाकार छलथि इन्द्रदेव पाठक जे उमाकान्त पाठककेँ अपन गुरू मानैत छलथि ।उदयन संगीत मंदिरमे सेहो कार्यरत रहलनि संगहि दरभंगा आ पटना आकाशवाणीसँ कतेको बेर हिनक संगीतक प्रसारण भेल ।बादमे ई मानसिक रूपसँ अस्वस्थ भऽ गेलनि आ एकटा महान संगीतकारक संगीत साधना बन्न भऽ गेल ।
करियन हरिजन टोल एखनो मिथिलाक बिलुप्त होइत वाद्ययंत्रकेँ जीया कऽ राखने अछि ।एहिमे सुकेश्वर मोचीक महत्वपूर्ण योगदान छल ।एहि टोलक रामाशिष भारतिय स्थल सेनाक बैण्डमे कार्यरत छथि ।
उदयन नाट्य कला परिषदक मंचसँ मंचित होइ बला नाटककेँ बीचमे वा पट परिवर्तनक बेर मैथिलीएमे स्वरचित गीत गाओल जाइत छल ।नायक-नायिकाक लेल जे गीत देल जाइत छल उहो स्वरचित रहैत छल आ अभिनेता-अभिनेत्री स्वयं गाबितो छलथि ।
सबटा गीतक रचना कालीकान्त झा "बूच" ,रमन-सुमन आ चन्द्रशेखर कमती करैत छलथि ।चन्द्रशेखर छी बाल साहित्य आ हास्यक बेजोड़ कलाकार छथि ,छात्रावस्थामे हिनक रचना आकाशवाणी दरभंगासँ प्रसारित भऽ चुकल अछि ।
गीत गायनमे रमन-सुमनक जोड़ी शीर्षपर छल संगहि गीत लिखैबला कवि अपनोसँ गीत गाबैत छलथि ।निरंजन झा स्वरचित हास्य समाचार पढ़ैत छलथि ।तबलापर सुनिलकान्त झा ,नाल/मृदंगपर जनार्दन झा आ धिरेन्द्र झा रहथि संगहि हारमोनियमपर इन्द्रदेव पाठक बैसै छलाह ।
विष्णुदेव पाठक ,चन्द्रशेखर कमती आ मुनेश्वर झा अपन हास्य अभिनयसँ हँसबैत-हँसबैत दर्शकक पेटमे दर्द उखाड़ि दैत छलथिन ।
नाट्य विधामे किछु कलाकार एहनो होइत अथि जे मंचपर नै आबै छथि मुदा हुनकर सहयोगक बिना नाटककेँ सफल नै बनाओल जा सकैछ ।एकटा प्रमुख किरदार होइ छै बैकग्राउण्ड(नेपथ्य) आवाज देनिहारक जाहिमे मुरारी पाठक ,राघवेन्द्र मिश्र आ शारदानन्द पाठक रहैत छलथिन ।उमा कमती ,सियाराम माहतोँ आ मणिकान्त झा बेजोड़ मेकप आर्टिस्ट छलथि ।नाटकक जरूरतिकेँ हिसाबसँ कलाकारकेँ एना सजबैत छलथि जे लागै मंचपर साक्षात चरित्र जीवन्त भऽ गेल अछि।पर्दा खिचिनाहरमे प्रमोद कमती आ सुधिर कमतीक उल्लेख करनाइ परम आवश्यक अछि ।किछु कलाकार अभिनयसँ दूर रहितो महत्वपूर्ण सहयोग दैत छलथि जाहिमे तृप्तिनारायण झा ,भूटकिन झा ,लक्ष्मी चौधरी ,बैजू चौधरी .राधा झा ,जोगी झा ,रामप्रकाश राय,आ प्रयाग मण्डल छलथि ।

बलराम पाठक अपन स्वरचित गीत आ कथाक माध्यमसँ किर्तन करैत छलाह ।हिनक गीत खाँटी मैथिली शब्दसँ भरल आ मैथिली लोकधुनसँ सजाओल रहैत छल ।एहि परम्पराकेँ एखन कन्हैया पाठक निमाहि रहल छथि ।गोपीकान्त पाठक स्वरचित मैथिली/संस्कृत गीतसँ भक्ति-भजन करैत छथि ।
नवकामे गोविन्द पाठक नीक उदघोषक आ अभिनेता छथि ।हिनका मैथिली युवा परिषद जमशेदपुरसँ मिथिला विभुतिक उपाधि भेटल अछि ,एखन ई मुम्बईमे रहि मैथिली/हिन्दी/भोजपूरी फिल्म/सिरियलमे काज करैत छथि । अभिलाष झा नाल ,हारमोनियम आ गायनमे सबसँ आगू छथि ।शम्भू पाठक नाल ,हारमोनियम ,गायन आ गीत लेखनमे पारंगत छथि ।सुधाकर झा नाल बजबैत छथि ।संतोष पाठक नाल ,हारमोनिय आ गायनमे गामे नै ,देशक कतेको प्रतिष्ठित मंचपर अपन नाम जगजगार केने छथि ।पिछला कतेको वर्षसँ विनोद पासवान मैथिली/भोजपूरी भक्ति गीत रचि किर्तन/भजन संध्याक जरूरति बनल छथि ।हिनक छोट भाए शिवकुमार पासवान दू-तीन वर्षसँ स्वरचित गीत गाबि दूर्गा पूजाक भजन संध्यामे वाह-वाही लुटने छथि ।अमित मिश्र सेहो किछु भक्ति गीत लिखि दुर्गा पूजा आ मंदिर सबपर गाबैत छथि ।
सोम-शानिकेँ होइ बला रमायण गोष्ठीमे मैथिलीए भाषाक प्रयोग होइत अछि ।मोटा-मोटी करियन गाम प्रतिभासँ संपन्न अछि आ मैथिलीक सेवामे सतत लागल अछि ।

प्रारम्भमे गाममे काली पूजाक अवसरपर विदेसिया आबैत छल मुदा ओ मात्र मैथिलीमे नाच करैत छल ।बादमे मिथिलाक बाहरकेँ विदेसिया मँगाओल जाए लागल जाहिसँ मैथिली कम आ भोजपूरी बढ़ऽ लागल ।बजारमे मैथिली गीत-संगीतक कमी आ भोजपूरीक नमरैत बजार सेहो मैथिली नाटकक पतनमे मुख्य योगदान देलक ।बदलैत समय ,बदलैत युवाक मानसिकता ,बढ़ैत फूहरता आ पुरान कलाकारक बढ़ैत उमरि बचल-खूचल मैथिली नाटककेँ तोड़ि-ताड़ि कऽ माँटिमे मिला देलक ।आ एहन समय आबि गेल जे मैथिली नाटक तँ छोरू ,हिन्दियो नाटकक मंचन बन्न भऽ गेल ।उदयन नाट्य कला परिषदक अंतीम मैथिली नाटक 2005मे रविभूषण पाठक लिखित "रिहर्सल" छल ।ई नाटक छठिक अवसरपर भेल छल जाहिमे एक दिन श्रीमती रंजना झाक गायन भेल छल ।
आब समय आबि गेल अछि जखन युवाकेँ आगू बढ़बाक चाही ।नाटककेँ जीयेबाक लेल युद्धस्तरपर प्रयास हेबाक चाही ।उदयन नाट्य कला परिषदे नै ,मिथिलाक सब गामक नाट्य परिषद विरहिन जकाँ तड़पैत बाट जोहि रहल अछि एकटा एहन बिहाड़िकेँ जे उड़ेने एतै एकरामे प्राण फूकै बला कलाकारकेँ ।एकर बन्न भेल नाड़ीकेँ बढ़ाबऽ बला डागडरकेँ।आशे नै ,पूर्ण विश्वास अछि जे गमैया नाटकक मंचन फेरसँ शुरू हएत आ अपन विजय पताका फहराएत ।

(एहि लेखमे शिवकुमार झा जीक विशेष सहयोग रहल ।)

अमित मिश्र

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