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सोमवार, 30 अप्रैल 2012

गजल

उठलै करेजा मे दरदिया हो राम
बदलल पिया के जे नजरिया हो राम
डूबा क' नेहक ताल मे संगे संग
लेलक बदलि अपने डगरिया हो राम
मधुमास लागै आब सौतिन हरजाइ
बेचैन केलक बड अन्हरिया हो राम
छै फूल पसरल सेज काटै सब अंग
गरमी द' रहलै यै चदरिया हो राम
कोना क' सम्हारब समझ मे नै ऐल
बड "अमित" तड़पाबै बदरिया हो राम
2212-2212-2221
बहरे- सरीअ
अमित मिश्र

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