प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

सब लागल काजमे

बाल कविता-25
सब लागल काजमे

सुक्खल झट्टा, कोकनल लकड़ी
झट्टा खा गेल उजरी बकरी
लकड़ीपर दौड़ै छै मकरी
एखन बिएलै बाछी सुनरी
पीबै मोन भरि पियर गदरी
कौआ भागल देख कऽ बदरी
सोझराबै खोंताक सब ओझरी
सुग्गा लऽ राम-नामक मोटरी
भोरे-भोर खोलै छै गठरी
अन्हारक घेंट लगेने फँसरी
सूरज दादा घुमथि सब नगरी
सब लागल काजमे एबरी
हमहूँ उठाएब पोथीक मोटरी
मुदा भूखसँ गुड़गुड़ करै अँतरी
तें पहिने खा लै छी कचरी
WWW.NAVANSHU.BLOGSPOT.COM

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें