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सोमवार, 23 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-8)

सेनूर छै अनमोल (भाग-8)

मुरली- एँ रौ, हमरा किए हएत झगड़ा !हमर कनियाँ छथिये चानक टुकड़ा, फूल कुमारी, दूधक छाल्ही, हमरा किए हएत झगड़ा !हम तँ सदिखन प्रेमक वाटिकामे विचरण करैत रहैत छी ।(राधा दिस घुमैत) की यै, ठीक कहलौं ने ?
राधा- (जेना धियान भंग भऽ गेल होइ ।हड़बड़ाइत ।)हँ...हँ, हेतै किए नै ।जरूर हेतै झगड़ा...की हमरा दऽ कहलियै ?...नै नै, झगड़ा किए हेतै...हमरा दुनूमे प्रेम हेतै, झगड़ा कथी लए हेतै !
मुरली- (राजा दिस घुमैत)आब बाज...आब तँ समर्थन भेंट गेलौ ?
राजा- जाए दहीं...जाए दहीं ।बड भेलौ फुस्टींग ।तोरासँ बतियाइये बला बड पैघ मुर्ख होइ छै ।
मुरली- तँ नै ने बतिया ।
राजा- नहियें बतियेबौ की ।(घुसकि कऽ राधा लऽग जाइत अछि ।)हम तँ आब भौजीएसँ बतियेबै ।की यै भौजी, बतियेबै ने अपन देउरसँ ?
राधा- हँ हँ, किए ने बतियेबै ।भरि पोख बतियेबै ।
राजा- अच्छे भौजी, एकटा बात बताउ ।अहाँ वियाहल छी वा कुमारि ?
राधा- (हँसैत) हा...हा...हा...ई केहन प्रश्न भेल ?एखने अहाँ पत्नी-पत्नी करैत छलियै आ एखने एहन प्रश्न पुछैत छियै ? की अहाँकेँ नै बुझल अछि जे कोनो नारी पत्नी कखन बनैत छै ?
राजा- बुझल किए ने रहत !नीक जकाँ बुझल अछि, मुदा अहाँक माँगमे सेनूर नै अछि ने तेँ आशंका भेल ।
(राधा चुप रहैत अछि ।)
मुरली- नै बुझलहीं मीता, सेनूर लगेलासँ राधाक माँथ दुखाए लागै छै ।ओनाहितो राधाकेँ कम दामक समान उपयोग करैक आदत नै छै ।सेनूरक दाम तँ बुझिते छहीं पाँच-दस टाका...
राजा- से तँ बुझलियौ, मुदा हिन्दू धर्मक नियम तँ नै तोड़ि सकै छी ने ।सेनूर लगेबाक तँ अपन सभक परम्परा रहल अछि ।वियाहमे सिन्दूर दानक बिध होइ छै । सेनूर नै लगेलासँ वियाहक कोनो महत्वे नै बचै छै ।ओनाहितो विज्ञान कहै छै जे सेनूर वा चानन लगेलासँ एकाग्रता बढ़ै छै ।माँथ दुखाइ बला बात तँ एखन धरि कतौ नै पढ़लियै ।
मुरली- जाए दहीं ।एहि बातपर बहस केलासँ कोनो फायदा नै छै ।हम पति-पत्नीक बीच मजगूत प्रेम हेबाक वकालत करब ।सेनूर-तेनूरसँ की हेतै ।केवल प्रेम हेबाक चाही ।आब ई सब तँ मात्र ढोअल जाइ छै ।आधुनिका सबकेँ गिरने जा रहल छी ।राधा नै चाहै छै तँ नै लगबौ ।प्रेम तँ अछि आ रहबे करत ।
राजा- तैयो...
मुरली- तैयो-बैयो किछु नै ।विश्वमे बहुते समुदाय एहन छै जे सेनूर नै लगबै छै, ओकरा की करबहीं ? सामाजिक आ किनूनी, दुनू द्वारा पति-पत्नी तँ ओकरो मानले जाइ छै ।(राजा हँमे मूड़ि डोलबैत अछि ।) बड घिचम-तिरा भेलै ।माँथ दुखाए लागल ।चल कने चौकपर सँ भऽ आबी ।
राजा- चल चल ।रघुआ हाथक कचरी खेला बड दिन भऽ गेलै ।ओकरो सुआद लऽ लेबै ।
(राजा आ मुरली पर्दाक पाछु चलि जाइत अछि ।)
राधा- (पैघ साँस छोड़ैत ।)ओह, केहन-केहन सबाल पूछऽ लागल रहै !ओ जँ नै सम्हारितथि तँ सब भंडा आइये फूटि जैतै ।एखने पता चलि जैतै जे हमरा दुनूक बीच पति-पत्निक रिश्ता मात्र देखाबा लेल छै ।
(तखने मोबाइलक घण्टी बजैत अछि ।राधा फोन उठबैत अछि ।)
राधा- हेलौ,..हेलौ...के बाजैत छी ?
(फोनपर श्यामक अवाज सुनाइत अछि ।*नोट- श्यामकेँ पर्दाक पाछू राखि संवाद कराएल जाए ।*)
श्याम- नै चिन्हलौं हमरा ?आइ-काल्हि लोक एनाहिते बिसरि जाइ छै ।आब हमर जरूरते कोन अछि अहाँकेँ जे हमरा इयाद राखब ।
राधा- सहीमे हम नै चिन्हलौं ।आब पहेली बुझेनाइ छौरू आ अहाँ के छी से बताउ ।
श्याम- हमरा नै चिन्ह कऽ अहाँ अपने एकटा पहेली ठाढ़ कऽ देने छी ।अहाँ राधा छी ने?
राधा- हँ हँ ।हम राधा छी ।
श्याम- हम श्याम छी ।अहाँक श्याम ।आब चिन्हलौं की नै ?
राधा- अच्छे श्याम...अरे बाप रे बाप...अहाँकेँ कोना नै चिन्ह पेलियै ! बड दिन बाद मोन पाड़लियै...नीक जकाँ छी ने ?
श्याम- हँ हँ ।हम नीक जकाँ छी ।अहाँ बिना कने उदास छी ।अपन बताउ ?
राधा- हमहूँ ठीके-ठाक छी ।ओना उदासी तँ हमरो अहीं जकाँ अछिये ।
श्याम- अहाँक पति केहन छथि...मने केहन मिजाजक छथि ?
राधा- स्वस्थ छथि ।लोकमिल्लू छथि ।लोकक सामने देखार नै हुअऽ दैत छथि ।
श्याम- तखन तँ ठीक अछि ।कहलौं जे आब लाइन क्लियर भऽ गेल अछि ।बड़का भैयाक वियाह भऽ गेल अछि ।आब हमरो वियाहक बात उठि रहल अछि ।हम सब एगंलसँ रेडी छी ।अहाँ हमरासँ वियाह करबाक लेल रेडी छी ने ?

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