प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

सोमवार, 9 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-1)

एकांकी- सेनूर छै अनमोल

पात्र आ उम्र
1. राधा- 20 वर्ष
2. श्याम- 22 वर्ष- राधाक दोस्त
3. मुरली- 24 वर्ष- राधाक पति
4. भिखमंगा- 35 वर्ष
5. राजा- 24 वर्ष- मुरलीक दोस्त

प्रथम पट
( बगैचाक दृश्य ।एकटा गाछक तऽर राधा बैसल अछि ।केशक दू टा जुट्टीमे सँ एकटा आगूमे लटकल अछि ।राधाक हाथमे एकटा गुलाबक फूल अछि जकरा आगू लटकल जुट्टीमे बेर-बेर खोंसैत आ निकालै छथि ।मुँहपर तनावक भाव स्पष्ट देखाइत अछि ।)
राधा- (बैसले बैसल उपर ताकैत )हे दाता दिनानाथ, सब कुशले रखिहऽ (दहिना हाथकेँ पहिने माँथ आ फेर छातीसँ सटबैत ) गोर लागै छियऽ तोरा ।मोन आशंकित भऽ रहल अछि ।जानि नै की भेलैए ?एक दुपहरियासँ एतऽ बैसल झाम गुरैत छी । (ठाढ़ होइत) आह...देखू तँ अंग-अंग अकरि गेल अछि (डाँरसँ उपरका भागकेँ एक बेर दायाँ दोसर बेर वायाँ घुमबैत, ऊँच साँस छोड़ैत) ओह...जानि नै और कते काल बैसऽ पड़तै !बुझू तँ बात कते मीठ-मीठ बजैए ।बाजैत लाजो नै होइ छै छौड़ाकेँ ।कहैए हम समयसँ काज करैत छी ।हमरा संगमे सदिखन घड़ी रहैत अछि ।वाह रे वाह...घड़ी रहैत छन्हि ।आइ की भऽ गेलनि घड़ीकेँ ।किओ चोरा लेलकनि वा भारतक रेल जकाँ धीरे-धीरे चलऽ लागलनि ।एतऽ टेंशनक चलते हमर बी॰पी॰, सुगर सब बढ़ि गेल अछि ।लगैत अछि जे आब प्राण छूटि जाएत आ हुनला लेल धैन सन ।ओतेक बुझा कऽ कहलियनि मुदा बुझै बला होइ तखन ने !रातिये फोनपर कहलियनि जे जरूरी छै भोरे भेंट करू, मुदा...मुदा ओ किए भेंट करताह ।हुनका कोन बेगरता छै !ई सब तँ हमर काज छै ने !

(गीत गाबैत भिखमंगाक प्रवेश )
यौ बाबू भैया यौ काकी काका
हम दस दिनसँ भूखल छी
दऽ दिअ हमरा किछु टाका
यौ काका दऽ दिअ किछु टाका...
(गीत गाबिते राधा लऽग पहुँचैत अछि ।ओकरा देख राधा दोसर दिश घुमि जाइत अछि ।)
भिखमंगा- यै बहिन दाइ...यै...यै अहींकेँ कहैत छी ।
राधा- की...की बात छै ?
भिखमंगा - बात...बात की रहतै !कोनो बेसी भारी नै...(विनती करैत) कने मदद चाही अहाँसँ और कोन बात रहतै ।(पेट दिस इशारा करैत )कने एकर जोगार कऽ दितियै बस एतबे अहाँसँ चाही ।
राधा - जो जो...ककरो दोसर लऽग जो ।हम खूबै-पिबै बाली नै छियौ ।जानि नै कतऽ कतऽसँ आबि जाइ छै वनमनुष सब ।

भिखमंगा- एना किए बाजै छी दाइ ?हम तँ पहिनेसँ विपतिक मारल छी ।एना जुनि दुरदुराउ हमरा।(गाबऽ लागैत अछि ) सब दिन होत न एक समाना . . .
राधा- एँ... ई की गाबैत छें (तमसाएल स्वरमे) तोरा कहैत मने की छौ ?
भिखमंगा- (सकपकाइत) हम कहाँ किछु कहलौं दाइ ! हम तँ निर्गुण गाबैत छलौं ।
राधा- (तामससँ व्यंग्य करैत) हँ...हँ...बड़का एला निर्गुण गाबै बला...सब दिन होत न एक समाना ।जेना की हम नै बुझलियै एकर मतलब ।तोरा मने जँ आइ तोरा बिनु भीख देने एतऽसँ भगा देबौ तँ कहियो हमरो भीख माँगऽ पड़तै ।(अपन कपड़ा देखबैत) आइ हमर देहपर जे सुन्नर कपड़ा छै से काल्हि नै रहतै ।तोरा मने हम तोरे जकाँ सड़क छाप भिखमंगा बनि जेबै ।तोरे जकाँ जंगली बनि जेबै ।सएह ने बाजलें तूँ ?
भिखमंगा- राम...राम...राम एहन बात सोचल कोना गेल अहाँकेँ ।हम तँ अपन हाल बतबै छलौं ।कहियो हमहूँ दोसरकेँ भीख दै छलियै, मुदा ...मुदा आइ हमरा किओ नै दै छै ।( कानैत ) सचमे गरीबक लेल कोनो देवता-पितर नै होइ छै ।लोक कहै छै जे भगवान जकर मुँह चिड़ै छथिन तकरा भोजन जरूर दै छथिन मुदा . . .मुदा हमरा बेर की भेलै ।लागै छै बइमनमा भगवान बिसरि गेलै जे हमरो मुँह चिड़ने छथिन ।
(राधाक तमसाएल मुँह शान्त होइत अछि ।ओ भिखमंगाकेँ चुप करबै छथि ।)

क्रमश:

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें