बाल कविता- 249
चुनमुन्नीक खेल
चल चुनमुन्नी खेल करै लेल
सुग्गा संगे मेल करै लेल
हम खेबै गहुँमक दाना
तखन गेबै नवका गाना
सुग्गाकेँ देबै लाल मिरचाइ
लागतै क'रू जेतै चिचियाइ
हम जेबै अकासक पार
सुग्गा लेल बन्द केबार
खैबै पाकल लताम तोड़ि
सुग्गा खेतै मैदा घोरि
उड़ि उड़ि क' खूब सिहेबै
मुँह दुसि क' बड खिसियेबै
गोस्सासँ जखने चिचियेतै
पिंजरासँ त' ठोकर खेतै
हँसबै हम त' हा हा हा
कहबै सुग्गा बाहर आ
मोनक गप बताबै छीयौ
कनिको नै नुकाबै छीयौ
ओकर मालिक जखन भेटतै
हमर लोलसँ घायल हेतै
कैद करैक भेटतै सीख
माँगतै अपन प्राणक भीख
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