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शुक्रवार, 15 मार्च 2013

गजल

गजल-1.55

राति जेना जेना जुआन भेल गेलै
चान तेना तेना पुरान भेल गेलै

रोजगारक आटासँ जखन बनल रोटी
गाम घरमे तखनसँ लवाण भेल गेलै

रहब भारी छै इज्जनसँ अनोन जगमे
हम तँ रहलौ तैयो कटान भेल गेलै

मौलबी पण्डित राम आ खुदाक नामसँ
ठाढ़ सगरो लूटिक मचान भेल गेलै

भरल छल ताशक महलमे हवा सिनेहक
तें तँ सहि झन्झा बड गुमान भेल गेलै

रूप एहन ऐना लगा रहल मिलनपर
रातिरानी सेहो हरान भेल गेलै

घुरत घरमे नेनपन हँसत जखन नेना
आब "अमितक" घर नव विहान भेल गेलै

2122-2212-1-2122
अमित मिश्र

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