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शनिवार, 23 मार्च 2013

इयाद

विहनि कथा-- इयाद

पिछला साल।दुर्गा पूजा । अनेक रंग के प्रकाशसँ सजल मँचक सामने पाकरि गाछ तऽरसँ हुनका पर एना नजरि गड़ेने छलौँ जेना जंगलमे शीकारी पशु अपन शिकार पर टकटकी लगेने रहैत अछि ।ओ एहि सबसँ अंजान छली मुदा हमरा सन कतेको हुनक मुखमण्डलक सौँन्दर्यक रसपान कऽ रहल छल ।हुनकर रूपकें माँग सजल सेनूर और बढ़ा रहल छलै ।नाटकक एक-एक टा भाव हुनकर मुँहपर देखैत छलौँ।हुनकर हँसी सँ हास्य आ डबडबाएल नैन सँ करूण अभिनयक भाव स्पष्ट भऽ रहल छल । ओ के छली? जानि नै ,मुदा ओ जे किओ छली हम हुनका सँ बन्हा गेल छलौँ ।एहि बेर दुर्गापूजा मे मोन नै रहितो .ओहि पाकरि गाछ तऽर बैसल छी ।हमर जोड़ा आँखि हुनका खोजि रहल छै मुदा ओ नै छथि ।मोन बड व्याकुल भऽ गेल ।पता लगा रहल छी ,जे ओ कतऽ छथि ।तेसर दिन पता चलल, हुनक दर्शन आब कहियो नै हेएत ।दहेजानन्द अपन शक्ति बढ़ाबऽ लेल हुनक बली चढ़ा देलकै ।ई समाज हुनका पाइ लेल मारि देलकै मुदा इयादकें नै मारि सकै छै ।भले हीँ ओ पंचतत्व मे समा गेलनि मुदा ओ नाटकक भाव कहैत मुखमण्डल सदिखन हमर इयाद मे जीबैत रहत , हँसैत रहत ।

अमित मिश्र

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