एकटा प्रयास केलहुँ
"गरीबक नेना"
ल' क' हँसुआ भोरे भोरे
काटै बिघाक बिघा धान
गोबर-करसी, चौका-बर्तन
रहै समयक नै ठेकान
वयस आठ अठारह ओजन
उठा, दैछ शीतल मुस्कान
पोथी-पतरा देखय ओ नै
स्कूलसँ त' नहियें पहचान
खाली पेट आ आधे कपड़ा
भेटत छौड़ा दोकाने दोकान
समाजसँ कटल रहैए ओ
त्यागय मान, सहय अपमान
गरीबक नेना एहिना जीबै
ओकरा लेल विधना बैमान
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