प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

गजल-अधसिझल सन पाक छी

गजल-2.28

अपनेक इतिहास लेल हम खतरनाक छी
अपनेक कथनसँ तँ हम अधसिझल सन पाक छी

कविता पढ़ू वा पढ़ू भजन गजल शायरी
आखरक मंथनसँ निकलि चुकल कटु वाक छी

निज चेतना जागले रहल चरम नीन धरि
जेतै कखन खेल पलटि बड खतरनाक छी

हमरा-अहाँमे प्रियतम फरक एतेक अछि
सुन्दर विदा छी अहाँ तँ हम हाक-डाक छी

ई जग दुखक सिन्धु अछि भरल अमित आगि धरि
चलि आउ सखि जीबि लिअ जँ नीक तैराक छी

2212-2121-212-212
अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें