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शनिवार, 14 नवंबर 2015

विदाइ- आबि त गेलै दशमी के दिनमाँ

आबि तऽ गेलै, दशमी के दिन, चलि जेती आइ मम माइ हे
फाटय छाती ,डेगो उठय नहि, कोना कऽ करबै विदाइ हे

दिन प्रथम छल शैलपूत्री, मैया के धेलौं जे ध्यान हे
पूत्री हिमालय के, गेली हिमालय, तोड़ि कऽ मोह सब आइ हे

ब्रह्मचारिनी माँ तऽ, चलिये गेली, कऽ देली जगके विरान हे
कोन कसूर,  छल कहू मैया , केलौं अनाथ आइ हे

कहलौं जे रूकू, चंद्रघंटा मैया, अहूँ तऽ भऽ गेलौं आन हे
जीवन करूण भेल, पसरल रूदन माँ, काटबै कोना दिन माइ हे

रचलौं जे श्रृष्टी, कूष्माण्डा मैया, पूजैये सगरो जहान हे
भेलौं माँ निष्ठुर, केलौं जगतके, सुनसान कोना कऽ माइ हे

 कतबो गोहरेलौं, स्कन्द माँ के, दलौं ने बातपर कान हे
सुख-शान्ति दऽ कऽ, देलौं माँ कतऽ, दर्शन लय तरसय मन आइ हे

नैनामे नोर , देलौं कात्यायनी, चलि गेलौं छोड़ि कऽ गाम हे
कष्ट बड भारी, भऽ गेल जननी, ममता ले कतऽ बौआइ हे

कालक नाश, करू कालरात्री, अहाँ तऽ होइयौ सहाय हे
डोली घुराउ, जुनि अहाँ जाउ, बनू ने अम्बा कुमाइ हे

आठम महागौरी, सुनू अरज मोरी, पूरा करू ने सब काज हे
बालक अवोध, हम छी हे मैया, करू ने कोनो उपाइ हे

सुनू हे दुर्गे, सिद्धिदात्री मैया, बिसरब ने जतरामे जाइ हे
सेवक अहींके, अमित महंथ,गहलक चरणियाँ माँ आइ हे

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